​बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
सुभाष बाबू के आह्वान पर पूरे कलकत्ता में अनेक संगठनों के माध्यम से जुलूस व सभाओं की जोशीली तैयारी थी।
स्त्रियाँ भी जुलूस में बढ़चढ़कर भाग ले रही थी।
आज़ादी मनाने के लिए पूरे कलकत्ता शहर में जनसभाओं और झंडारोहण उत्सवों का आयोजन किया गया।
अंग्रेज़ों ने कानून बनाकर, आन्दोलन और जुलूसों को गैर कानूनी घोषित किया हुआ था ।
परन्तु लोगों पर इसका कोई असर नहीं था।
वे आज़ादी के लिए अपना जुलूस बना रहे थे।
वे गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का प्रयास करते रहे थे।
मेरे अनुसार यह दिन अपूर्व इसलिए था क्योंकि इससे पहले कलकत्ता में आजादी के लिए इतने बड़े प्रयास नहीं किया गया था।
kindly please correct my answers, it is urgent, immediately reply to this post, only meritnation experts alone, others kindly excuse

मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
​बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
सुभाष बाबू के आह्वान पर पूरे कलकत्ता में अनेक संगठनों के द्वारा जुलूस व सभाओं की तैयारियाँ पूरे जोश से हो रही थी।  
स्त्रियाँ भी जुलूस में बढ़-चढ़कर भाग ले रही थीं।  आज़ादी का दिन मनाने के लिए पूरे कलकत्ता शहर में जनसभाओं और झंडारोहण उत्सवों का आयोजन किया गया।  पुलिस कमीश्नर ने कानून बनाकर सभा आयोजन को गैरकानूनी घोषित कर दिया था परन्तु लोगों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वे आज़ादी पाने के लिए एकत्रित हो रहे थे। ​वे गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का प्रयास कर रहे थे। मेरे अनुसार यह दिन अपूर्व था क्योंकि इससे पहले कलकत्ता में आजादी पाने के लिए इतने बड़े स्तर पर प्रयास नहीं किए गए थे।




 

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