kohre se dhaki keheker kavi ne kis tahre ki pristhitiyon ki aur senket kiya hai?
मित्र!
आपका उत्तर इस प्रकार है:-
`कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं`- कवि ने ऐसा कहकर बहुत भयानक परिस्थितियों की ओर संकेत किया है। बच्चे काम पर जा रहे हैं यानी बाल मजदूरी कर रहे हैं। जिन बच्चों के हाथों में खिलौना होना चाहिए, उनके हाथों में औजार हैं। जिस उम्र में उन्हें किताबें पढ़ना चाहिए, वे मजदूरी कर रहे हैं। बच्चों का बचपन ही खो रहा है। बचपन में ही बड़े हो रहे हैं और परिवार की जिम्मेदारी उठा रहे हैं। इन सबके लिए हमारा समाज भी जिम्मेदार है। संसाधन जुटाए जाने चाहिए और ठोस कदम उठाए जाने चाहिए ताकि बच्चे काम पर न जाएँ।
आपका उत्तर इस प्रकार है:-
`कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं`- कवि ने ऐसा कहकर बहुत भयानक परिस्थितियों की ओर संकेत किया है। बच्चे काम पर जा रहे हैं यानी बाल मजदूरी कर रहे हैं। जिन बच्चों के हाथों में खिलौना होना चाहिए, उनके हाथों में औजार हैं। जिस उम्र में उन्हें किताबें पढ़ना चाहिए, वे मजदूरी कर रहे हैं। बच्चों का बचपन ही खो रहा है। बचपन में ही बड़े हो रहे हैं और परिवार की जिम्मेदारी उठा रहे हैं। इन सबके लिए हमारा समाज भी जिम्मेदार है। संसाधन जुटाए जाने चाहिए और ठोस कदम उठाए जाने चाहिए ताकि बच्चे काम पर न जाएँ।