kya dukh manane ka adhikar keval ek sampann vyakthi ko hi he? paricharcha

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इस वाक्य के पीछे एक व्यंग्य छिपा हुआ है। गरीब व्यक्ति आर्थिक रुप से संपन्न नहीं होता है कि वह दुख में रोता-पीटता रहे। यदि वह ऐसा करेगा, तो उसका परिवार भुखा मर जाएगा। अतः वह शीघ्र ही अपने दुख को दिल में दबाकर काम-काज में लग जाता है। ऐसा नहीं है कि उसका दुख अमीर व्यक्ति के दुख से कम होता है। उसका दुख अमीर व्यक्ति के समान ही होता है। परन्तु परिस्थितियाँ और आर्थिक स्थितियाँ उसको इस बात की इज़ाज़त नहीं देती हैं। वह दुख को एक किनारा करके काम पर जाने को विवश होता है।

इसके विपरीत  अमीर व्यक्ति के पास पर्याप्त मात्रा में धन होता है। वह यदि एक महीने भी बैठकर गम करें, तो उसके परिवार पर इसका दबाव नहीं पड़ सकता। और वह बिना किसी के कठिनाई के शोक मनाता रहता है। इस तरह वह अपने गम को खोलकर रख देता है। लोग उसकी मज़बूत आर्थिक स्थिति को नहीं देखते और मानते हैं कि उसका दुख बड़ा था।  

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