Kya Ishwar hain? Vishay ke paksh ya vipaksh mein apne vichar paryapt udaharan sahit dijiye.

क्या ईश्वर है? इस प्रश्न पर कई बार कई बहसें हुई है। परन्तु हमेशा एक पेचीदा प्रश्न रहा है, जो अनसुलझा रहा है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाला और नास्तिक व्यक्ति ईश्वर की सत्ता को स्वीकार नहीं करता। इसके विपरीत एक साधारण व्यक्ति इस कथन को पूरी तरह से खारीज़ कर देता है। वह ईश्वर की सत्ता पर आँख बंदकर विश्वास करता है। हमारे इतिहास में ऐसी घटनाएँ भरी पड़ी है जिसमें कहा गया है कि ईश्वर है और उस समय के लोगों ने इसके पक्ष में अपनी सहमति भी दी है। परन्तु वह ऐतिहासिक प्रमाण है, वह सच भी हो सकते हैं और बनाए भी जा सकते हैं। हम मनुष्य है। हम उस सत्य को सत्य मानते हैं, जिसे अपनी आँखों व कानों से सुन देख न लें। वैसे कई संतों जैसे मीराबाई, रैदास, कबीर, तुलसीदास इत्यादि ने ईश्वर के होने को स्वीकार किया है। इनकी जीवनी कई चमत्कारिक घटनाओं से भरी पड़ी है। इन सबने इस बात को एकमत से स्वीकार किया है कि ईश्वर पृथ्वी के कण-कण में विद्यमान है। परन्तु क्या हम उनकी बात को मानने को तैयार हैं। मेरा मत है कि ईश्वर हमारे आसपास सर्वत्र व्याप्त है। इसके पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या कहता है मुझे नहीं पता परन्तु मैंने कठिन समय में ईश्वर के होने को समझा है। मेरी एक पुकार से वह किसी न किसी रूप में आकर मेरी सहायता कर देते हैं। हृदय में की गई प्रार्थना को मैंने साक्षात रूप में साकार होते देखा है। मेरा मन तब हैरान हो जाता है कि कैसे मेरे ह्दय की प्रार्थना आचनक साकार होकर मुझे विषम परिस्थितियों से निकाल लेती है। इसे इत्तेफाक कहकर में पल्ला नहीं झाड़ सकती हूँ। अतः मैं मानती हूँ कि ईश्वर है। वह किसी रूप में है मैं इसका वर्णन नहीं कर सकती हूँ। परन्तु मानती हूँ कि वह मेरे ह्दय में वह इस संसार के सारे प्राणियों के ह्दय में विद्यमान है।

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