ladka ladki ek samaan par niband i want this niband pls

मित्र हम इस विषय पर आपको कुछ पंक्तियाँ उपलब्ध करवा रहे हैं। इसे आप स्वयं विस्तारपूर्वक लिखिए-

लड़की समाज का आधार होती है। उसके बिना समाज की कल्पना करना असंभव है। परन्तु इसके बाद भी उसे लड़कों से हीन समझा जाता है। उसे लड़कों के समान अधिकार समाज में प्राप्त नहीं है। उसने सदियों से लड़कों के समान अधिकार पाने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी है। परन्तु यह लड़ाई शहरी जीवन में सफल हो पायी है। परन्तु ग्रामीण इलाकों में उसकी स्थिति अब भी गौण है। ग्रामीण जीवन में लड़की वंश बढ़ाने और घर संभालने का साधन मात्र है। जिसके कंधे बोझ तले दबे रहते हैं। सारी उम्र सेविका के समान जीवन यापन करती है और वैसे मर जाती है। वहाँ उसे मुँह खोलने का अधिकार नहीं है। मन की करना तो अलग बात है। सरकार जितना भी चिल्लाए कि लड़का-लड़की एक समान परन्तु यह बात मात्र दिखा प्रतीत होती है। इसका प्रभाव बच्चों में भी देखा जाता है। माता-पिता स्वयं के बच्चों में लड़का-लड़की का भेद करते हैं। यदि समाज में यही चलता रहा तो कैसे लड़की को समाज में लड़कों के समान अधिकार प्राप्त होंगे। वे सदैव दासी बनी रहेगी और जीवन में अपने अधिकारों के लिए लड़ती रहेगी। हमें चाहिए कि कोशिश अपने घर से आरंभ करें, तभी हम लड़की को समान अधिकार दे पाएँगे।

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