'Lahasa ke oor' path ka aadhar par sidh kare ki ush samay ka tibatti samaj aadharsh samaj tha?

मित्र उस समय तिब्बती समाज में जाति-पाँति, छुआछूत नहीं था, औरतों के लिए परदा प्रथा का प्रचलन भी नहीं था, अपरिचित व्यक्ति को वे अपने घर में आने दे सकते थे परन्तु चोरी के भय से किसी भिखमंगे को घर में घुसने नहीं देते थे। वहाँ आतिथ्य सत्कार अच्छी तरह से किया जाता था।

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