Lakhak ko kon si kriya a garimapurn lagi

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लेखक को जापानी लोगों द्वारा चाय पिलाने की क्रिया गरिमापूर्ण लगी। चाजीन ने लेखक का स्वागत पारंपरिक ढंग से किया। उन्हें झुक कर प्रणाम किया और बैठने को कहा। अंगीठी जला कर चाय बनाने की पतीली उसमें रखी। दूसरे कमरे से चाय के बर्तन लेकर आया और उसको तौलिए से पोछा। फिर बड़े ही शालीनता से बर्तन साफ करने लगा।  सारे काम इतने सुंदर ढंग से हो रहे थे कि लेखक को यह सारी क्रिया बहुत ही गरिमापूर्ण लगी। 

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