Lakshman ne aisa kya kiya jo puri sabha mein unki ninda hone lagi?

मित्र सभा में लक्ष्मण जी ने परशुराम जी से क्रोधित होकर कहा कि आप बार-बार मुझे अपना फरसा मत दिखाइए। मैं आपको ब्राह्मण जानकर अभी तक अापका सम्मान कर रहा हूँ परंतु आप शायद हमें कायर समझ रहे हैं। आपने अभी तक रणक्षेत्र में किसी वीर क्षत्रिय का सामना नहीं किया है। लगता है कि आप अब तक घर ही में बड़े हुए हैं इसलिए आपको हमारी वीरता का अहसास नहीं है। लक्ष्मण के मुख से परशुराम जी के लिए ऐेसे वचन सुनकर सभा ने इसे अऩुचित कहा तथा उनकी निंदा करने लगे। 

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