Laskhman aur parshuram ke beech ka sanvand(conversation) likiye...

मित्र
हम संवाद का एक अंश दे रहे हैं।

लक्ष्मण - हे मुनि! बचपन में हमने खेल-खेल में ऐसे बहुत से धनुष तोड़े हैं तब तो आप कभी क्रोधित नहीं हुए थे। फिर इस धनुष के टूटने पर इतना क्रोध क्यों कर रहे हैं?

परशुराम - अरे, राजपुत्र! तू काल के वश में आकर ऐसा बोल रहा है। यह शिव जी का धनुष है।
 लक्ष्मण- हे मुनि! धनुष तो धनुष होता है।
इसमें ऐसी क्या खास बात है?
 परशुराम- तुम अभी बालक हो। समझ नहीं पाओगे।

  • 0
What are you looking for?