lekhak ka nambholanath kaise para?

मित्र भोलानाथ के पिताजी उसे सुबह जल्दी नहलाकर अपने साथ पूजा करने के लिए बिठा लेते तथा उसके माथे पर भभूत का तिलक भी लगा देते थे। भोलानाथ की लंबी-लंबी जटाओं के कारण पिताजी उसे प्यार से भोलानाथ कहते थे। 

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