lekhak ko Dadi man Shrapp bhrasht Devi ki tarah Kyon Lagi

उत्तर–
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-                                      
पिताजी और किशन भैया कर्ज की वजह से परेशान थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें? कोई भी रुपया देने को तैयार नहीं था। दादी जी ने इसका हल निकला लिया। उन्होंने अपने पति की आखिरी निशानी सोने के कंगन बेचने के लिए दे दिए। लेखक अपनी दादी को देखकर भाव-विभोर हो गया। उसे अपनी दादी शापभ्रष्ट देवी की तरह लगी। जिसे देखने से ही सभी शाप नष्ट हो जाते हैं।

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