Lekhak ne vyavaharikta ko samaj ke liye accha kyun nhi mana.(2 marks)
प्रिय मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
लेखक ने व्यवहारिकता को समाज के लिए उचित नहीं माना है क्योंकि व्यवहारवादी लोग हमेशा अपने कार्य के लिए सावधान रहते हैं। हर काम में लाभ-हानि का गणित लगाते हैं। वे जीवन में कई बार सफल भी होते हैं और दूसरों से आगे भी जाते हैं परन्तु स्थाई रूप से आगे नहीं बढ़ पाते। ऐसे में समाज के उत्थान के बारे में वह नहीं सोचते। व्यवहारवादी सोच के कारण समाज का विकास नहीं हो पाता और नीचे की ओर गिरता रहता है।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
लेखक ने व्यवहारिकता को समाज के लिए उचित नहीं माना है क्योंकि व्यवहारवादी लोग हमेशा अपने कार्य के लिए सावधान रहते हैं। हर काम में लाभ-हानि का गणित लगाते हैं। वे जीवन में कई बार सफल भी होते हैं और दूसरों से आगे भी जाते हैं परन्तु स्थाई रूप से आगे नहीं बढ़ पाते। ऐसे में समाज के उत्थान के बारे में वह नहीं सोचते। व्यवहारवादी सोच के कारण समाज का विकास नहीं हो पाता और नीचे की ओर गिरता रहता है।