lekhak Shyam Charan Dubey ke anusar Ham dikh bhramit aur Anya nirdeshit Kyon Hai

मित्र

लेखक के अनुसार समाज विलासिता से युक्त सामग्रियों की गिरफ़्त में इतना जकड़ चुका है कि स्वयं को नष्ट किए जा रहा है। इस संस्कृति ने मनुष्य को दिखावे की एक नई दुनिया में प्रवेश करवा दिया है, जो कि उसके विकास में सबसे बड़ा रोड़ा है। विज्ञापनों ने इस संस्कृति को विकसित किया है। धनी वर्गों ने इस संस्कृति को अपनाया है। इनकी देखा-देखी अब मध्यम परिवारों के लोग भी इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह दिखावे की शैली उनके जीवन का मुख्य अंग बनती जा रही है। दिखावे के मोह में पड़े लोग इस तरह के कार्य कर बैठते हैं कि वह हास्यपद स्थिति उत्पन्न कर देते हैं। आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे जीवन पर हावी हो रही है। मनुष्य आधुनिक बनने की होड़ में बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं, पश्चिम की संस्कृति का अनुकरण किया जा रहा है। आज उत्पाद को उपभोग की दृष्टि से नहीं बल्कि महज दिखावे के लिए खरीदा जा रहा है। विज्ञापनों के प्रभाव से हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं।

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