Lekhika apni maa ko Apna Adarsh kyun nahi Manti

मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
 
लेखिका के अनुसार उसकी माँ का अपना कोई व्यक्तित्व नहीं था। उन्होंने सारा जीवन अपने बच्चों की माँगों को पूरा करते और पति की डाँट को सुनकर निकाल दी थी। रसोई उनका सबकुछ था। अतः लेखिका अपनी माँ को अपना आदर्श नहीं बना पाई। उसकी माँ त्यागमयी  तथा डरी-सहमी स्त्री थी। लेखिका के लिए ऐसा पात्र दया का पात्र था, आदर्श का नहीं।

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