Lekhika ne apni ma ko vyaktitvaviheen kyon kaha hai?

लेखिका की माँ ने अपना पूरा जीवन अपने पति तथा बच्चों के लिए स्वाह कर दिया। वह उन्हीं के लिए जी। उन्होंने कभी अपने लिए कुछ नहीं किया। पिता की डाँट ने उन्हें हमेशा डराकर रखा। यही कारण है कि लेखिका ने माँ को व्यक्तित्वविहिन कहा है।

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