maan ki bhavnaho ko vyakth (express) karne ke liye sabdo (words) se badkar bhi koi aur madyam hota hai. bihari rachit doho dvara sapsth kijiye

कहत, नटत, रीझत, खिझत,मिलत, खिलत, लजियात। 

भरे भौन में करत हैं नैननु  हीं सब बात। 

 मित्र इन दो पंक्तियों में ही कवि नें प्रेमी- प्रेमिका के मध्य आँखों से होने वाली बातचीत को दर्शाया है। जैसे - वे आँखों हीं आँखों में बात करते हैं, रुठते-मनाते है, मिलते है, शर्माते है, नाराज़ होते हैं और अपने प्रेम को व्यक्त करते हैं। 
इस आधार पर हम कह सकते हैं कि बिना बोले भी हम अपने मन की भावनाओं को दूसरे को व्यक्त कर सकते हैं। हम अपने मुख के हाव-भाव, आँखों के संकेत तथा हंसी के माध्यम से बहुत कुछ कह सकते हैं। इसके लिए हमें शब्दों का मोहताज़ होने की आवश्यकता नहीं है।

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