Mahadev bhai k jholo m kya bhara raheta tha tatha vahe apne samay ka sdupyog kis prakar krte the ??
मित्र
महादेव भाई के बड़े-बड़े झोलों में ताजे समाचार पत्र और पुस्तकें होती थी, समय का सदुपयोग करने के लिए जिसे वे रेलगाड़ी, रैलियों तथा सभाओं में पढ़ते थे या फिर 'नवजीवन' या 'यंग इंडिया' के लिए लेख लिखते रहते थे। इतने वयस्त समय में अपने लिए कब वक्त निकालते पता नही चलता, एक घंटे में चार घंटो का काम निपटा देते थे।
महादेव भाई के बड़े-बड़े झोलों में ताजे समाचार पत्र और पुस्तकें होती थी, समय का सदुपयोग करने के लिए जिसे वे रेलगाड़ी, रैलियों तथा सभाओं में पढ़ते थे या फिर 'नवजीवन' या 'यंग इंडिया' के लिए लेख लिखते रहते थे। इतने वयस्त समय में अपने लिए कब वक्त निकालते पता नही चलता, एक घंटे में चार घंटो का काम निपटा देते थे।