manav aur prakriti ke beech samvad
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
मानव- आप कौन हैं? यहाँ ऐसी उदास क्यों बैठी हैं?
प्रकृति- मैं मानव हूँ। मनुष्य ने मेरा यह हाल कर दिया है। मेरे सुंदर स्वरूप को बंदरंग कर दिया है।
मानव- मैं समझा नहीं।
प्रकृति- मेरे वातावरण को प्रदूषित कर दिया है। पहाड़, पेड़, पशु-पक्षी इत्यादि को मनुष्य ने नष्ट कर दिया है। मैं इनसे बनी हूँ यदि ये समाप्त हो जाएँगे, तो मेरा अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। मनुष्य समझ नहीं रहा है कि वह भी मेरा एक अंग है। यदि मैं समाप्त होती हूँ तो वह स्वयं समाप्त हो जाएगा।
मानव- मैं अपनी करनी के लिए शर्मिंदा हूँ। प्रयास करूँगा कि आपके अस्तित्व को जिंदा रख सकूँ।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
मानव- आप कौन हैं? यहाँ ऐसी उदास क्यों बैठी हैं?
प्रकृति- मैं मानव हूँ। मनुष्य ने मेरा यह हाल कर दिया है। मेरे सुंदर स्वरूप को बंदरंग कर दिया है।
मानव- मैं समझा नहीं।
प्रकृति- मेरे वातावरण को प्रदूषित कर दिया है। पहाड़, पेड़, पशु-पक्षी इत्यादि को मनुष्य ने नष्ट कर दिया है। मैं इनसे बनी हूँ यदि ये समाप्त हो जाएँगे, तो मेरा अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। मनुष्य समझ नहीं रहा है कि वह भी मेरा एक अंग है। यदि मैं समाप्त होती हूँ तो वह स्वयं समाप्त हो जाएगा।
मानव- मैं अपनी करनी के लिए शर्मिंदा हूँ। प्रयास करूँगा कि आपके अस्तित्व को जिंदा रख सकूँ।