Mannu bhandari ji ke vyaktitva ubharne me unki adhyapak sheela agrawal ka kya yogdan tha

प्रिय मित्र!
 आपका उत्तर इस प्रकार है।

लेखिका के व्यक्तित्व पर दो व्यक्तियों का प्रभाव विशेष रूप से देखा जा सकता है। प्रथम उनके पिता तथा द्वितीय उनकी हिंदी अध्यापिका शीला अग्रवाल।
 दसवीं कक्षा के बाद फर्स्ट इयर में उनकी मुलाकात हिंदी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल से हुई। उनके साथ हुई चर्चाओं ने लेखिका के साहित्य के ज्ञान को बढ़ाया तथा बचपन के खोए आत्मविश्वास की भावना फिर से जागृत हुई। उनका चित्त स्वतंत्रता संग्राम की ओर उन्मुख हुआ, साथ ही लेखन की दिशा में कदम बढ़े। उनके व्यक्तित्व में वीरता और आत्मविश्वास के गुणों का समावेश भी शीला अग्रवाल के कारण हुआ।

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