manushya ko prakriti kis roop se andolit karti hai? apne shabdo mein likhiye.

प्रकृति ईश्वर की देन कही जाती है। यह ऐसी कृति है जिसमें किसी प्रकार की अशुद्धता विद्यमान नहीं है। यह ऐसा विज्ञान है, जो जटिल भी है और सरल भी। यहाँ सब इतना सुव्यवस्थित होता है कि मनुष्य दातों तले अंगुलियाँ दबा लेता है। इसकी व्यवस्था में कमी नहीं है इसके कोई दुष्परिणाम नहीं है। इसका सौंदर्य इसकी व्यवस्था, इसकी कार्यप्रणाली हमें सदियों से आकर्षित करती है। हम इसके आकर्षण से आज तक निकल नहीं पाए हैं। मानव चाहे उस युग था या आज का प्रकृति के सौंदर्य में खो जाता है। हम प्राचीन समय में इसका ही एक भाग थे। इसके साथ रहते हुए हम सुख और सौंदर्य का रसपान करते थे। परन्तु आधुनिकता ने हमारा और इसका संबंध तोड़ दिया है। परन्तु जब हम सुख पाने की इच्छा से इसके समीप जाते हैं, तो हमारे रक्त में सोया यह संबंध जागृत हो जाता है। हमारे संपूर्ण व्यक्तित्व पर एक झंझावत उत्पन्न होने लगता है और हम आंदोलित हो उठते हैं। आंदोलन की प्रक्रिया हमें अपने आज के स्वरूप से लड़ने के लिए प्रेरित करती है और हम कुछ समय के लिए प्रकृति का सानिध्य हमेशा पाने को तड़प उठते हैं। इस प्रकार हमार मस्तिष्क और ह्दय विकल हो उठता है और वह प्रकृति के सानिध्य को अपने अंदर सहेजकर रखना चाहता है। हम आधुनिकता को कोसने लगते हैं। यही प्रकृति द्वारा आंदोलित करना कहलाता है। हमें प्रकृति जीवन में जीने की प्रेरणा देती है। जब कठिन समय हो और हमारे पास साहस समाप्त हो जाए, तो प्रकृति ही है जिसके सानिध्य में हमें सुख और आनंद प्राप्त होता है। 

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