manushyata kavita ke sheershakta ko spasht kijiye

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कविता का शीर्षक `मनुष्यता` नाम के अनुसार सार्थक  है।  इस कविता में कवि ने परोपकार को सर्वोपरि माना है।  मनुष्यता  का सबसे बड़ा  गुण परोपकार या लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करना  ही है। एक दूसरे के लिए मन में प्यार और सहानुभूति की भावना होनी चाहिए।  कविता का यह सन्देश कि सारे मनुष्य समान है, यही सन्देश शीर्षक को सार्थक करता है।  करुणा, दया की भावना और सच्चे मनुष्य  की पहचान उसके मानवीय गुणों से होती है जैसा कि  इस कविता में दिया गया है। 

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