Meera ne apne pado main prabho ke prati apni bhavnaye kaise vyakt ki hai ?
मित्र मीरा ने अपने पदों में प्रभु के प्रति अपनी भावनाएं अपनी भक्ति के माध्यम से व्यक्त की हैं। मीरा की भक्ति भगवान कृष्ण तक निहित है। वह अपने प्रभु की दासी बनने को तैयार है। उसे भगवान से भक्ति के रूप में कुछ नहीं चाहिए। वह तो बस भगवान के दर्शन तथा उनकी सेवा चाहती है। उसका मुख्य उद्देश्य भगवान के समीप रहना है।