Meera Padh Kaa MoolBhaav??
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मित्र मीरा के पदों का मूलभाव कृष्ण की भक्ति करना ही है। इसके अलावा भक्ति करने के साथ-साथ वह उन्हें समय पड़ने पर उलाहने भी देती है। तथा उन्हें उनके कर्तव्यों की याद भी दिलाती है।
मित्र मीरा के पदों का मूलभाव कृष्ण की भक्ति करना ही है। इसके अलावा भक्ति करने के साथ-साथ वह उन्हें समय पड़ने पर उलाहने भी देती है। तथा उन्हें उनके कर्तव्यों की याद भी दिलाती है।