Mokshita Likhit bhasha ke baare mein Labh aur Hani ke baare mein Bataye

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भाषा के दो रूप हैं। लिखित और मौखिक। भाषा का एक और रूप है सांकेतिक भाषा। हमारे जीवन में मौखिक भाषा का सबसे अधिक महत्त्व है क्योंकि मौखिक भाषा के लिए लिपि का ज्ञान आवश्यक नहीं होता है। मौखिक भाषा से हम एक दूसरे से सम्प्रेषण कर सकते हैं। सभी जीवों की भाषा अलग-अलग होती है। अपनी भाषा के माध्यम से हम अपनी बातों और भावों को सामने वाले को बताते हैं। अनपढ़ लोग भी मौखिक भाषा का प्रयोग कर सकते हैं। यदि हम लिखित और मौखिक भाषा का क्लिष्ट(कठिन) रूप लोगों के सामने प्रस्तुत करेंगे, तो लोग समझ नहीं पाएंगे। इसलिए हम जब भी भाषा का  प्रयोग करें, तो सरल रूप ही प्रयोग करें ताकि लोग उसे समझ सकें। लिखित भाषा का प्रयोग करते समय हमें ध्यान रखना चाहिए हमारी भाषा अभद्र ना हो। भाषा में हमेशा उच्चता बनाए रखें। यदि हम लिखित और मौखिक भाषा का दुरुपयोग करते हैं, तो वही इसकी हानि होगी। 

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