Moral story including muhavre in Hindi for grade 7

एक नदी थी | उसमे तमाम मछलियाँ रहती थीं | आस-पास गाओं के लड़के नदी के किनारे-किनारे चलते थे और किनारे से तैरती मछलियों के बच्चो को देखते थे | उन्हें पकड़ने की कोशिश भी करते थे | लेकिन मछलियों के बच्चे लड़कों के हाथ नहीं आते थीं | कभी कभी किनारे पर कछुए भी देखने को मिल जाते थे | 

उसी नदी में एक मगर भी था | वह मरघट के पास रहता था | मरघट और धोबी घात आस-पास नदी के किनारे पर थे | वह मरघट पर ही रहकर मुर्दों को खाकर अपना पेट भरता था | धोभी घाट की ओर चक्कर लगता रहता था | वैसे वह शोर शराबे से दूर रहता था | धोबी घर के इधर लोगों के स्नान करने वाला घाट था | इधर जब भी वह चक्कर लगता था, दोपहर के सन्नाटे में लगता | 

धोबी घाट पर धोबी कपडे धोया करते थे | वहीँ पडों की छाया में दोपहर को थोड़ा आराम करते और भोजन करते | बुजुर्ग और बच्चे पेडों की छाया में बैठे रहते थे | पुरुष और महिलाएं पानी में किनारे से कपडे धोते रहते थे | 

धोबी घहट के लोगों को अक्सर मगर दिखाई देता था | कछुया अधिकतर मगर की पीठ पर बैठा होता | लोगों का कहना था की इस मगर और कछुए में दोस्ती है | इसलिए ये अक्सर साथ साथ दिखाई देते हैं | 

कुछ दिन बाद धोबियों ने कछुए को मगर के साथ नहीं देखा, उन्होंने सोचा की मर गया होगा, या दोस्ती टूट गयी होगी | लेकिन कुछ दिन बाद ही मगर us कछुए का पीछा करते दिखाई दिया | वे समझ गए की मित्रता अब दुश्मनी में बदल गयी है | एक दिन उन्होंने देखा की कछुया छपाक से नदी के किनारे आ गिरा | वह सम्हल भी नहीं पाया था की मगर ने उसे अपने दोनों जबड़ो में ले लिया | और देखते ही देखते मगर ने उसे अपने दोनों जबड़ों में ले लिया है | और देखते देखते मगर उसे लील गया | 

यह देखकर उनको बहुत दुःख हुआ | उनमे से एक लम्बी सांश खींचते हुए बोला, "जल में रह कर मगर से बैर, यह संभव नहीं |"

कुछ छण तक सन्नाटा छाया रहा |
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