muje aan ki daakiya ka saaraamsh kal chaahiye. mujhe madad keejiye

'भगवान के डाकिए' कविता में कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' मनुष्य को प्रकृति के माध्यम से एकता और आपस में प्रेम करने की प्रेरणा देते हैं। उनके अनुसार जिस तरह बादल और पक्षी बिना भेदभाव के सबके साथ समान रूप से व्यवहार करते हैं, मनुष्य को भी उसी तरह का व्यवहार करना चाहिए। बादल वर्षा करने से पहले यह नहीं सोचता कि मैं इस स्थान पर वर्षा करूँगा और उस स्थान पर नहीं, उसी तरह पक्षी सारे भू-भाग को अपना निवास-स्थान मानकर एक देश से दूसरे देश आते-जाते रहते हैं। कवि के अनुसार यदि मनुष्य इस बात को भली-भांति से समझ लें, तो कभी एक देश दूसरे देश से द्वेष और बैर की भावना नहीं रखेगा। इस संसार में इस तथ्य को जान लेने के बाद प्रेम और आपसी भाईचारे की भावना प्रसारित होगी। लेखक के अनुसार हमें प्रकृति से सीख लेनी चाहिए।

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