mujhe tum kab jaogey, atithi pe koi pleazzz pleazz peazzz summary la ke dijiye it's argent pleazz help me friendssss

नमस्कार मित्र!
'तुम कब जाओगे, अतिथि' में कवि ने ऐसे लोगों पर व्यंग्य कसा है, जो दूसरों के घरों में अतिथि के रूप में जाते हैं। परन्तु बहुत समय तक वहाँ से निकलते नहीं है। यह पाठ व्यंग्यात्मक शैली में लिखा गया है। लेखक ने व्यंग्य-व्यंग्य में लोगों को समझाने का प्रयास किया है। लेखक के अनुसार अच्छा पड़ोसी वह होता है जो अपने आने से पूर्व सूचना देकर आए और पूछ कर आए। कुछ दिन का अतिथ्य कराए और वापस चला जाए। जो लोग बिना किसी सूचना के आ धमकते हैं और कई-कई दिनों तक जाने का नाम नहीं लेते हैं, ऐसे लोग मेजबानों की सरदर्दी का कारण बनते हैं। उनके कारण परिवार का दिवाला निकल जाता है। परन्तु उनके अतिथि को इससे कोई असर नहीं पड़ता। ऐसे अतिथियों को सबक सिखाने के उद्देश्य से लेखक ने इस पाठ की रचना की है।  
 
ढेरों शुभकामनाएँ!

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