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मित्र

स्वाभिमान का अर्थ है। स्व(अपने) अभिमान अर्थात अपनेे पर अभिमान। मनुष्य के जीवन में स्वाभिमान का बहुत महत्व है। जो मनुष्य बिना स्वाभिमान के है, उसका जीवन व्यर्थ है। हर मनुष्य स्वयं पर गर्व करता है और यह आवश्यक भी है। जब तक वह स्वयं के महत्व को नहीं समझेगा कोई उसका आदर नहीं करता। स्वाभिमान उसे संसार में विशेष बनाता है, स्वाभिमान उसे सर उठाकर चलने के लिए प्रेरित करता है, स्वाभिमान उसे सफल बनाता है और स्वाभिमान ही उसे अपनी पहचान करता है। अपने स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए मनुष्य कर्म करता रहता है। स्वाभिमान से ही स्वाबलंबन का जन्म होता है। जो मनुष्य स्वाभिमानी है, वह दूसरों की दासता तथा दूसरों का उपकार स्वीकार नहीं करता। इससे ही वह मेहनती तथा दृढ़ निश्चयी बनता है। मनुष्य इसके सहारे ही प्रगति और विकास पाता है तथा आसमानों पर घर बनाता है।  

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