My question here
प्रिय विद्यार्थी,
रूढ़ियाँ समाज में चलती आ रहीं वे परम्पराएँ हैं जो ज्यों की त्यों अपनायी जा रही हैं , जब समाज समय के साथ परिवर्तन करने से अस्वीकार कर देता है, तो यही रूढ़ियाँ अनावश्यक रूप से व्यक्ति की स्वतंत्रता को रोक देती है। जिससे यही परम्पराएँ बोझ बन जाती हैं। यह हमारे भारत की संस्कृति, जो परिवर्तन और भिन्नता को खुले दिल से स्वीकारती है, उसके सख़्त ख़िलाफ़ है। इसलिए रूढ़ियाँ समाज में नहीं होनी चाहिए।
आभार।
रूढ़ियाँ समाज में चलती आ रहीं वे परम्पराएँ हैं जो ज्यों की त्यों अपनायी जा रही हैं , जब समाज समय के साथ परिवर्तन करने से अस्वीकार कर देता है, तो यही रूढ़ियाँ अनावश्यक रूप से व्यक्ति की स्वतंत्रता को रोक देती है। जिससे यही परम्पराएँ बोझ बन जाती हैं। यह हमारे भारत की संस्कृति, जो परिवर्तन और भिन्नता को खुले दिल से स्वीकारती है, उसके सख़्त ख़िलाफ़ है। इसलिए रूढ़ियाँ समाज में नहीं होनी चाहिए।
आभार।