nagar se bahar nikalkar thuo pag chalne ke bath sita ki kya thsha hoi?

Hi!
नगर से बाहर निकल कर नंगे पैर पथरीली धरती पर चलने के कारण सीताजी अत्यधिक थक गई। थकान से उनको एक-एक पग रखना भारी हो गया, वह धीरज के साथ चल रही थी। चलने से उनके माथे से पसीने की बूंदे गिरने लगी थी, प्यास के कारण उनके होंठ सुख गए थे। वह बार-बार राम से पूछ रही थी की हमारी कुटिया कब आएगी।
 
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढ़ेरों शुभकामनाएँ!

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