nahi rahi hai Kavita Mein varnan prakritik Soundarya ki sarthakta ko spasht kijiye
नमस्कार मित्र,
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
1) 'अट नहीं रही है' कविता में कवि फागुन के सौंदर्य और मादकता को दर्शाता है। उसके अनुसार फागुन में प्रकृति की छठा निराली और अदभुत होती है। चारों ओर फागुन का बोलबाला होता है। इस ऋतु में प्रकृति अपने यौवन रूप में होती है। इसी कारण चारों ओर उल्लास छाया हुआ होता है। लोगों को यह उल्लास प्रभावित और आकर्षित करता है। जन-जन इस मादकता में स्वयं को मदमस्त किए हुए हैं।