"nai kahani ki rachna" aur "lakhnavi andaz" mein kya samanta hai?
मित्र जिस प्रकार लखनवी अंदाज़ के नवाब साहब बिना खीरा खाए उसकी सुगंध तथा स्वाद की कल्पना करके पेट भर सकते हैं। वैसे ही नयी कहानी की रचना बिना विचार, घटना तथा पात्रों के बन जाती है।
"nai kahani ki rachna" aur "lakhnavi andaz" mein kya samanta hai?
मित्र जिस प्रकार लखनवी अंदाज़ के नवाब साहब बिना खीरा खाए उसकी सुगंध तथा स्वाद की कल्पना करके पेट भर सकते हैं। वैसे ही नयी कहानी की रचना बिना विचार, घटना तथा पात्रों के बन जाती है।