nari sashaktikaran par nibandh in hindi

nari shasktikaran kya h

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what is nari sashktikarar

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if u don't know the answer...

don,t playwith her...

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Nari andolan kab hua world me
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नारी शिक्षा के महत्व को समझाते हुए कई विद्वानों और विचारकों ने अपना -अपना मत प्रस्तुत किया है नारी शिक्षा का महत्व हमारे जीवन में एक बहुत बड़ा महत्व रखता है।ऐसा देखा गया है नारी कि पुरातन काल से ही पुरूष की शक्ति होती है।अगर मनु स्मृति के शिक्षा पर ध्यान दें तो मनु महाराज समाज के सच्चे चिन्तक थे।इसलिए मानवता को सबसे पहले स्थान दिये और नारी को श्रद्धा पूर्वक देखते हुए एक देवी का स्वरूप प्रदान किया।
पुरातन काल से ऐसा कहा जाता था जहां नारी की पुजा होती है वहीं देवगण निवास करते हैं।परन्तु ऐसा जानते हुए भी नारी के साथ अन्याय और शोषण में कमी नहीं आया इसके उत्तर में कहाँ जा सकता है कि हम पूर्णतः अपनी संस्कृति और सभ्यता का त्याग कर चुके हैं।जिसके चलते हम नारी के अन्दर विद्यमान गुणों को समझने में कठिनाईओं का सामना करना पड़ रहा है।बहुत युगो तक हमारे देश की नारीया अशिक्षा और अज्ञान के अंधकार में भटक रही थी।
नारी ने तो स्वप्न देखना भी छोड़ चूंकि थी कि कभी हम शिक्षित भी हो सकती है।नारी आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही सम्मान की पात्र मानीं गई है परन्तु हमारे समाज वाले यह समझना छोड़ दिये कि नारी परम मित्र एवं सलाह की प्रति मूर्ति है।यह पति के लिए दासी के समान सेवा करने वाली और माता के समान जीवन देने वाली होती है।
आज के इस नये युग में नारी चाहे कितनी ही शुशिल क्यों न हो लेकिन उनमें शिक्षित होना जरूरी है।अगर आज की नारिया शिक्षित न हो तो उसका इस युग में कोई ताल मेल नहीं माना जाएगा।हमारा यह नया युग पूराने युग को बहुत पिछे छोड़ गया है।जिसके चलते नारीयों में सहनशीलता के साथ -साथ शिक्षा भी विद्यमान होनी चाहिये।आज नारियाँ पर्दा को त्याग चुकी है क्योंकि आज परिवेश में अगर नारी शिक्षित न हो तो उसका इस युग में कोई ताल मेल नहीं माना जायेगा।आज अशिक्षित नारी को महत्वहीन समझा जाता है।इसलिए समाज का हर एक व्यक्ति अपने बेटियों और बहुएं को शिक्षित बनाना अपना परम कर्तव्य समझ रहा है।
प्रचीन काल में देखा जाय तो हमारे समाज में नारियों की स्थिति पुरूषो से कहीं सुदृढ़ मानी जाती थी।एक ऐसा समय था नारी का स्थान पुरूषो से इतना ऊँचा और पूजनीय था कि पिता के नाम के स्थान पर माता के नाम से ही पहचान कराई जाती थी।
यह बिना किसी तर्क और विचार और विमर्श किये ही मानना होगा नारी शिक्षा के परिणाम स्वरूप पुरुष के सम्मान की पात्र मानी जाती है।प्राचीन काल की नारी शिक्षित भले नहीं होती थी।
अपितु घर गृहस्थी के कार्यों में पूर्णतः दक्ष होती हुई पति परायण और महान पति व्रता होती थी।इस योग्यता के फलस्वरूप उन्हें समाज काफी प्रतिष्ठा मिलती थी।लेकिन हमें इस बात से समझना होगा कि तब आज में अन्तर आ गया है।उस समय नारी शिक्षा का महत्व नहीं थी जितना आज है।उस समय नारी को नर की अनुगामिनी माना जाता था।परन्तु आज नारी को शिक्षित होना ही उसकी योग्यता प्रदर्शित करता है आज का यह युग शिक्षा के प्रचार -प्रसार पूर्ण विज्ञान का युग है अतः आज अशिक्षित होना सबसे बड़ा अभीशाप है।
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नर की धुरी, पति की प्रेरणा, बच्चों की सर्वेसर्वा, गृहस्वामिनी---वैसे तो 
हर जगह स्त्री की मौजूदगी, उसका दखल ज़रुरी माना जाता है। लेकिन दहलीज़ के बाहर दुनिया-जहान की बात आई नहीं कि पल भर में महिलाओं को नज़रअंदाज़ किया जाता है, यह कहकर कि ये उनकी बहस का मुद्दा नहीं है। क्या हमने कभी इस बात पर गौर किया है कि ऐसा क्यों होता है? इसका सबसे मुख्य कारण है नारी में शिक्षा का अभाव! जो महिलाए पढ़ी-लिखीं है, जिन्होंने अपनी शिक्षा के बलबूते समाज में अपनी एक जगह बनाई है उन्हें कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता।    लड़की पढ़ेगी तो बढ़ेगी!     लेखिका और समाजसेविका सुधा मूर्ति के मुताबिक, 'लड़की पढ़ेगी तो बढ़ेगी, बढ़ेगी तो अपनी जिंदगी को जानेगी, अपनी जिंदगी को जानते समझते हुए दुनिया को समझेगी और दुनिया की समझ उसकी जिंदगी की समझ को बढ़ाएगी।' लेकिन यदि पढ़ ही न पाई तो? कितनी लड़कियाँ है जो स्कूल जा पाती है? आज स्थिति थोड़ी बदल रही है। लड़कियाँ भी स्कूल जाने लगी है। यह ख़ुशी की बात है। लेकिन आज भी कितनी लड़कियाँ है जो हाईस्कूल तक लड़कों से अच्छे अंक पाने के बाद भी उच्च शिक्षा तक पहुँच पाती है?  भारत में जहाँ 2001 की जनसंख्‍या में पुरुषों की साक्षरता 75 फीसदी थी, वहीं महिला साक्षरता महज 54 फीसदी थी। हाल ही में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति जी ने छात्राओं को वाचनालयों में जाने से रोक लगा दी थी। और कहा कि जब कोई एक लड़की जाती है तो चार लड़के भी वहां पहुँच जाते है! अब आप ही बताईये, इसमें लड़कियों की क्या गलती है? मंत्री महोदय वाचनालय का विस्तार करने की बजाय लड़कियों को दोष दे रहे है!
  

नारी शिक्षा की कमी के कारण 
1 ) ज्यादातर माँ-बाप यही सोचते है कि "पहले लड़की की पढ़ाई में ख़र्चा करों और बाद में शादी में। दो-दो बार ख़र्चा करने की अपेक्षा ग्रेजुएशन तक पढ़ा दो और पैसे वाले अच्छे घर में शादी कर दो! हो गई अपने कर्तव्य की इतिश्री!" इसी सोच के कारण आज भी ज्यादातर लड़कियाँ अपनी शिक्षा को नौकरी और आत्मनिर्भरता में तब्दील नहीं कर पाती।

2 ) ज्यादातर माता-पिता को यही लगता है कि लड़की तो पढ़-लिख कर अपने ससुराल चली जाएगी, हमारे किस काम आएँगी? फिर हम क्यों इतना पैसा खर्च करे?

3 ) लड़की को जितना ज्यादा पढ़ाएंगे उसके लिए वर भी उतना ही पढ़ा लिखा ढूंढना पड़ेगा। लड़का जितना ज्यादा पढ़ा-लिखा होगा वो दहेज़ भी उतना ज्यादा माँगेगा! ज्यादातर माता-पिता इतना ज्यादा दहेज़ नहीं दे पाते। 

4 ) गावों में लड़कियों का पांचवी के बाद स्कूल की पढ़ाई छोड़ने का एक बड़ा कारण स्कूलों में कन्या शौचालय नहीं होना है। 

5 ) जो क्षेत्र सतत समर्पण वाले है, जैसे विज्ञान एवं शोध के क्षेत्र, वहां भी लड़कियों की संख्या दुखद रूप से निराश करने वाली है। क्योंकि लड़कियाँ अपने जीवन के दस साल किसी वैज्ञानिक शोध के लिए नहीं दे पाती है।  खासतौर से भारत में बहुत सी संस्थाएं तो ऐसे शोध कार्यों के लिए लड़कियों को लेती ही नहीं। क्योंकि दो-तीन साल में उनकी शादी हो जाती है और ससुराल वालों को लगता है कि विज्ञान पढने से ज्यादा ज़रुरी है पति और घर की देखरेख करना। उनकी रिसर्च बीच में ही रुक जाती है और हाथों में टेस्ट ट्यूब एवं माइक्रोस्कोप की जगह कलछी एवं बेलन होते है।

6 ) अभी भी कुछ लोगों की सोच यही है कि लड़कियाँ ज्यादा पढ़-लिख कर क्या करेंगी? उन्हें तो चौका-चूल्हा ही संभालना है। ज्यादा पढ़ेगी-लिखेगी तो ससुराल में निभा नहीं पाएंगी!

नारी शिक्षा के फायदे  
1 ) सदियों से नारी में जो एक हीन भावना घर करा दी गई है कि "पिछले जन्म में तुमने ज़रूर कोई पाप किए होंगे इसीलिए इस जन्म में तुमने नारी रूप में जन्म लिया है।"  शिक्षित होने से नारी को अपने अंदर के इस हीन भावना से मुक्ति मिलेंगी। 

2 ) शिक्षा से नारी के ज्ञान में वृद्धि होने से वह अपने घर का प्रबंधन, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, बच्चों का पालन-पोषण सही तरीके से कर पाएगी। उसकी निर्णय क्षमता में वृद्धि होगी। 

3 ) शिक्षा से नारी के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी। मेरा अपना भी कोई अस्तित्व है, मेरी अपनी भी कोई पहचान है, इस भावना को बल मिलेगा। (क्योंकि आज भी हम यही सोचते है कि नारी की अपनी कोई पहचान नहीं है। अभी टीवी पर एक सीरियल का विज्ञापन आ रहा है जिसमे कहा जाता है कि "मम्मी का क्या, वो तो पापा के साथ फ्री है!!" इस विज्ञापन के बोल में ही छुपी है नारी की आज की हकीक़त!)

4 ) आत्मविश्वास में वृद्धि होने से नारी को अपने अंदर से वास्तविक आतंरिक ख़ुशी मिलेगी जिसका फायदा पुरे परिवार को, पुरे समाज को मिलेगा। 


महात्मा गांधी ने भी कहा था "जब एक लड़की पढ़ती है तो पूरा परिवार पढ़ता है।" नारी ने शिक्षा ग्रहण कर ली इसका ये मतलब कतई नहीं है कि उसे अपनी योग्यता सिद्ध करने के लिए घर से बाहर जाकर नौकरी या व्यवसाय करना ज़रुरी है। लेकिन कल को यदि कोई अनहोनी हो जाय या पति का साया न रहे, तो शिक्षित होना उसका आत्मविश्वास टूटने नहीं देगा। शिक्षा ग्रहण करने का मुख्य उपयोग है एक जागरूक, सचेत नागरिक बनकर स्वाभिमान से जीना! घर-परिवार से समय निकालकर कुछ न कुछ सीखते रहना। आगे… और आगे… और आगे बढ़ते रहना!!

हम अपनी कन्याओं को इस प्रकार शिक्षा और संस्कारों से विभूषित करे कि जिससे वे दृष्टों से अपने सतीत्व और सम्मान की रक्षा कर सके। निश्चय ही फैशन और अंगों को खुला रखने वाली वेषभूषा व्यभिचार की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है। 
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नारी शिक्षा
कहा गया है जंहा स्त्रियों की पूजा होती है वंहा देवता निवास करते हैं । प्राचीन काल से ही नारी को ‘गृह देवी’ या ‘गृह लक्ष्मी’ कहा जाता है ।

प्राचीन समय में नारी शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता था । परन्तु मध्यकाल में स्त्रियों की स्थिति दयनीय हो गयी । उसका जीवन घर की चारदीवारी तक सिमित हो गया । नारी को परदे में रहने के लिए विवश किया गया । स्त्री-पुरुष जीवन-रूपी रथ के दो पहिये हैं, इसलिए पुरुष के साथ साथ स्त्री का भी शिक्षित होना जरुरी है ।

यदि माता सुशिक्षित होगी तो उसकी संतान भी सुशील और शिक्षित होगी । शिक्षित गृहणी पति के कार्यों में हाथ बंटा सकती है, परिवार को सुचारु रूप से चला सकती है । स्त्री-शिक्षा प्रसार होने से नारी आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनेगी। अपने अधिकारों और कर्त्तव्यों के प्रति सचेत होगी । आदर्श गृहणी परिवार का आभूषण और समाज का गौरव होती है ।

स्त्री के लिए किताबी शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा भी बहुत जरुरी है । स्त्री गृह कार्य में कुशल होने के साथ साथ वह समाजसेवा में भी योगदान दे सके । नारी का योगदान समाज में सबसे ज्यादा होता है । बच्चों के लालन-पालन, शिक्षा से लेकर नौकरी तक नारी हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे है । अतः नारी को कभी कम नहीं आंकना चाहिए और उसका सदा सम्मान करना चाहिए ।

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Women’s Education
Women have been worshipped as deities in the Indian society from ancient times as ‘Home goddess’ or’ Griha Lakshmi.

Special emphasis was given to female education in ancient times. But the status of women in the Middle Ages was miserable. Her life was restricted to the four walls of the house. Woman was forced to stay in the veil.

If a woman is educated, she can educate her child. Women are nowadays learning to become financially independent and are becoming conscious of their rights.

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excellent divya
 
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 plz guys essay on unemployment in hindi  
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वास्तव में बेरोजगारी कि समस्या एक दानव की तरह हमारे देश के नवयुवकों को खा रही हैI
एक नौजवान जब पढ़ाई करता है, अपने क्षेत्र में विशेष ज्ञान प्राप्त करता है फिर नौकरी के लिए भटकता फिरता है और जब उसके हाथ केवल निराशा ही लगती है तब उसका आत्मविश्वास डगमगाने लगता हैI ऐसे ही कई बेरोजगार नवयुवक गलत रास्ते अपनाने लगते हैं, बुरी आदतों का शिकार बनते हैं और समाज के लिए समस्याएँ उत्पन्न करते हैंI विचार किया जाये तो मुख्य रूप से गाँवों से लोग बड़ी संख्या में शहरों में आना, दूषित शिक्षा प्रणाली, बढ़ती जनसंख्या जैसे कारण इस समस्या के मूल में दिखाई देते हैंI अतः बेरोजगारी कि समस्या को दूर करने के लिए हमें इन कारणों से निपटना होगाI
कृषि का समुचित विकास आवश्यक हैI शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन करके उसे व्य्वसाय से जोड़ा जाये, जनसंख्या नियंत्रण के और सजग प्रयास हों, साथ ही यह भी आवश्यक है कि संपूर्ण राष्ट्र के लिए एक व्यापक रोजगार के नये अवसर उपलब्ध करवाए जाएँI सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में अनेक उपाय किये जा रहे हैं किंतु और अधिक सजग प्रयासों कि आवश्यकता हैI
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thanks divya
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1857 की महान क्रांति मे जातीयतावाद पर विचार प्रकट किजीए answer  plzzz
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