Nawab Sahab ke Kheer khane ke tahzeeb aur tarike Ko Dekhkar lekhak Ne Kya Kaha Kya is tarike se Tripti ho sakti hai yadi Nahin to Nawab Sahab Ne Aisa Kyon Kiya

प्रिय मित्र! आपका उत्तर इस प्रकार है :- लेखक सोच रहा था कि लोग जीवन की उपेक्षा करके वनावटी जिंदगी जीते हैं।  लोगों को लगता है कि छोटी-छोटी बातों में नाज -नखरे दिखाना ही खानदानी रईस होना है। नवाब साहब के तरीके से उदरपूर्ति संभव नहीं है क्योंकि नवाब साहब खाने से अधिक महत्व अपनी झूठी शान को देते थे। इस तरीके को अपनाने में व्यक्ति को दिखावे की प्रवृति का अभ्यास करना होगा तभी वह खीरे को सूंघ कर भी उदरपूर्ति का अहसास पा सकता है।  

 

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