Nawab sahab ko lekhak ke samne jhijhak kyu ho rahi thi

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नवाब साहब को लेखक के सामने झिझक हो रही थी। नवाब साहब को देख कर ऐसा लगता था कि उनको एकांत में बैठना था और लेखक के आने से खलल पड़ गया। लेखक से बात करने के लिए, नवाब साहब कोई उत्साह प्रकट नहीं कर रहे थे। अपनी झूठी शान बनाने के लिए नवाब साहब मौन रह रहे थे। नवाब साहब खीरा खाना चाहते थे मगर लेखक के आने से संकोच करने लगे। 
 

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