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'गीत-अगीत' कविता में कवि ने प्रकृति के सौंदर्य के अतिरिक्त जीव-जतुंओं के ममत्व, मानवीय राग और प्रेमभाव का भी सजीव चित्रण है। कवि को नदी के प्रवाह में थट के विरह का गीत का सॄजन होता जान पड़ता है। उन्हें शुक-शुकी के क्रिया-कलापों में भी गीत सुनाई देता है। कहीं एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को बुलाने के लिए गीत गा रहा है जिसे सुनकर प्रेमिका आंनदित होती है। कवि का मानना है कि नदी और शुक गीत सृजन या गीत-गान भले ही न कर रहे हों, पर दरअसल वहाँ गीत का सृजन और गान भी हो रहा है। वे यह नही समझ पा रहे हैं कौन ज्यादा सुन्दर है - प्रकृति के द्वारा किए जा रहे क्रियाकलाप या फिर मनुष्य द्वारा गाया जाने वाला गीत।

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