neelkanth ki sundartha ka varanan kijiye

Hi,
नीलकंठ जब बड़ा हुआ तो उसके सिर पर कलगी सघन, ऊँची तथा चमकीली हो गई थी जो बहुत सुन्दर लगती थी। चोंच बंकिम और पौनी थी। गोल आँखों में इंद्रनी की नीलाभ द्युति झलकने लगी थी। उसकी लंबी नील-हरित ग्रीवा की हर भंगिमा में धूपछाँही तरंगें मन को हरने वाली थी। दक्षिणी वाम दोनों पंखों में सलेटी और सफ़ेद आलेखन सुंदर लगते थे। उसकी लंबी पूँछ थी व उस पर बनी इंद्रधनुषी बिरखे रंगों से नजर हटती ही नहीं थी। रंग-रहित पैरों को गरवीली गति ने एक नयी गरिमा से रंजित कर दिया था। उसका गरदन ऊँची करके देखना, नीची कर दाना चुगना, पानी पीना, टेढ़ी कर शब्द सुनना आदि क्रियाओं में जो सुकुमारता और सौंदर्य था, उसका कहना ही क्या था।  
 
मैं आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढेरों शुभकामनाएँ !

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