niband on suno sabki karo mann ki in hindi
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
इस संसार में हर मनुष्य के जीवन का एक लक्ष्य होता है। अपने जीवन के लक्ष्य की ओर वह निरंतर बढ़ता चला जाता है। उसे कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है। वह अपने रास्ते स्वयं निकालता है। उसे इस मार्ग में बढ़ते हुए बहुत से लोग मिलते हैं। उनके साथ चलते हुए वह अपने लक्ष्य की ओर चलता चला जाता है। लोग अपनी समझानुसार उसे सलाह देते हैं। अपने अनुभव के आधार पर उसे कार्य करने के लिए कहते हैं। मगर एक समझदार मनुष्य सुनता सबकी है मगर करता अपने मन की है।
हर मनुष्य की परिस्थिति अलग-अलग होती है। अतः यह आवश्यक नहीं है कि जो आमुक व्यक्ति के साथ हुआ ऐसा हमारे साथ भी हो।लोगों की बातों से हमें यह पता अवश्य चल जाता है कि यदि हम आमुक व्यक्ति की तरह करते हैं, तो हमें क्या फायदे और क्या नुकसान हो सकते हैं। इन अनुभवों से हम सीख तो ले सकते हैं मगर हमें करना वही चाहिए जो हमें सही लगे। कारण हम तभी ज़िम्मेदार बनेंगे, जब स्वयं परिस्थितियों का सामना करेंगे। इस तरह हमारी निर्णय लेने की क्षमता का विकास होगा। तभी हम आगे बढेंगे। अतः सुनो सबकी मगर करो, अपने मन की।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
इस संसार में हर मनुष्य के जीवन का एक लक्ष्य होता है। अपने जीवन के लक्ष्य की ओर वह निरंतर बढ़ता चला जाता है। उसे कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है। वह अपने रास्ते स्वयं निकालता है। उसे इस मार्ग में बढ़ते हुए बहुत से लोग मिलते हैं। उनके साथ चलते हुए वह अपने लक्ष्य की ओर चलता चला जाता है। लोग अपनी समझानुसार उसे सलाह देते हैं। अपने अनुभव के आधार पर उसे कार्य करने के लिए कहते हैं। मगर एक समझदार मनुष्य सुनता सबकी है मगर करता अपने मन की है।
हर मनुष्य की परिस्थिति अलग-अलग होती है। अतः यह आवश्यक नहीं है कि जो आमुक व्यक्ति के साथ हुआ ऐसा हमारे साथ भी हो।लोगों की बातों से हमें यह पता अवश्य चल जाता है कि यदि हम आमुक व्यक्ति की तरह करते हैं, तो हमें क्या फायदे और क्या नुकसान हो सकते हैं। इन अनुभवों से हम सीख तो ले सकते हैं मगर हमें करना वही चाहिए जो हमें सही लगे। कारण हम तभी ज़िम्मेदार बनेंगे, जब स्वयं परिस्थितियों का सामना करेंगे। इस तरह हमारी निर्णय लेने की क्षमता का विकास होगा। तभी हम आगे बढेंगे। अतः सुनो सबकी मगर करो, अपने मन की।