Nirala ki kavita Utsah or shatruraj ki kavita Kanyadan donon ke Jis Samajik badlav ki Apeksha gai hai uski prasannta per Apne vichar vyakt kijiye

प्रिय छात्र समाज कितना भी बदल जाए परंतु स्त्री का स्वरूप वैसा-का-वैसा ही बना हुआ है। वह अपनों के द्वारा सदैव से प्रताड़ित ही की जाती रही है। कन्यादान कविता में कवि ऐसी माँ के रूप को दर्शाता है, जो समाज में स्त्रियों के साथ होने वाले अत्याचारों और प्रताड़नाओं से भली-भांति परिचित है। वह अपनी बेटी को विवाह के पश्चात लीक से हटकर कुछ महत्वपूर्ण सीख देती है। उत्साह कविता के माध्यम से कवि पुरानी कुरीतियों को उखाड़ फेंकना का संदेश देता है तथा नव- जीवन लाने के लिए प्रेरित करता है।  इसी सामाजिक बदलाव की अपेक्षा इन कविताओं में की गई है। दोनों कविताओं में पुरानी नीतियों, कुरीतियों को हटाकर लोगों के मध्य नवचेतना का संचार  करने के बारे में कहा गया है।

धन्यवाद।

  • 0
??......... ????..
  • -1
What are you looking for?