parshuram ne dhanush todne vale ke baare mai puccha to ram ne "mere dwara tuta " seedhe na keh kar aisa kyu kaha ki " appke hi ek das se tuta hai"?

मित्र शिवधनुश के टूटने पर परशुराम जी बहुत क्रोधित हो गए थे। वे गुस्से से तिलमिलाते हुए सभा में आए। राम जी ने जब उन्हें इतना उत्तेजित होते हुए देखा तो वे बात को बढाना नहीं चाहते थे। सभा में सभी परशुराम जी के व्यवहार से परिचित थे। इसलिए राम जी ने उन्हें शांत करने के लिए कहा कि यह धनुष आपके ही किसी एक दास ने तोड़ा है।

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