path Dukh Ka Adhikar Mein lekhak Ne Samaj par kya vengai kiya hai

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दुःख का अधिकार कहानी में लेखक ने समाज में फैली हुई असमानता और लोगों की ख़त्म होती संवेदनाओं पर व्यंग्य किया है। लेखक ने अमीरी पर व्यंग्य किया है, जब एक गरीब के घर में मौत होती है, तो उसे दुःख करने का भी अधिकार नहीं होता। गरीब को अपना पेट भरने के लिए घर से बाहर जाना ही पड़ता है। घर पर रहकर दुःख मनाएंगे, तो खाएंगे कैसे? अमीर दुःख मना सकता है क्योंकि उसके पास उसके लिए समय और सुविधा दोनों होती है।

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