Patra ki paribhasha
मित्र
आपका उत्तर इस प्रकार है।
औपचारिक पत्र-
औपचारिक का अर्थ होता है, वह भाषा जो पूरी शिष्टता के साथ लिखी जाती है या बोली जाती है। औपचारिक पत्र में हम ऐसे ही पत्रों को रखते हैं, जो हम किसी गैर सरकारी या किसी सरकारी अधिकारी को व्यवसायिक स्तर पर निवेदन करने, बधाई देने, निमंत्रण देने, पूछताछ या शिकायत करने के लिए लिखते हैं। इसकी भाषा स्पष्ट, शिष्ट, संक्षिप्त होती है। अत: इस आधार पर हम कह सकते हैं कि औपचारिक पत्र वह पत्र होते हैं, जो पूर्णत: शिष्ट और स्पष्ट लेखन से युक्त होते हैं।
अनौपचारिक पत्र-
अनौपचारिक वह भाषा होती है जिसमें शिष्टता का भाव नहीं होता है। वह ऐसी भाषा होती है, जिसे हम अपने निकट के किसी संबंधी या मित्र से बोलते हैं यानी की आप बोलचाल की भाषा। इसी आधार पर हम अनौपचारिक पत्रों में परिवारिक पत्र, मित्रों को लिखे जाने वाले पत्र या रिश्तेदारों को लिखे जाने वाले पत्रों को रखते हैं। अत: हम इस आधार पर कह सकते हैं कि अनौपचारिक पत्र वह पत्र होते हैं जिनकी भाषा सरल व आम बोलचाल की भाषा होती है और निकट संबंधों को लिखे जाते हैं।
आपका उत्तर इस प्रकार है।
औपचारिक पत्र-
औपचारिक का अर्थ होता है, वह भाषा जो पूरी शिष्टता के साथ लिखी जाती है या बोली जाती है। औपचारिक पत्र में हम ऐसे ही पत्रों को रखते हैं, जो हम किसी गैर सरकारी या किसी सरकारी अधिकारी को व्यवसायिक स्तर पर निवेदन करने, बधाई देने, निमंत्रण देने, पूछताछ या शिकायत करने के लिए लिखते हैं। इसकी भाषा स्पष्ट, शिष्ट, संक्षिप्त होती है। अत: इस आधार पर हम कह सकते हैं कि औपचारिक पत्र वह पत्र होते हैं, जो पूर्णत: शिष्ट और स्पष्ट लेखन से युक्त होते हैं।
अनौपचारिक पत्र-
अनौपचारिक वह भाषा होती है जिसमें शिष्टता का भाव नहीं होता है। वह ऐसी भाषा होती है, जिसे हम अपने निकट के किसी संबंधी या मित्र से बोलते हैं यानी की आप बोलचाल की भाषा। इसी आधार पर हम अनौपचारिक पत्रों में परिवारिक पत्र, मित्रों को लिखे जाने वाले पत्र या रिश्तेदारों को लिखे जाने वाले पत्रों को रखते हैं। अत: हम इस आधार पर कह सकते हैं कि अनौपचारिक पत्र वह पत्र होते हैं जिनकी भाषा सरल व आम बोलचाल की भाषा होती है और निकट संबंधों को लिखे जाते हैं।