Pedo pe ek anuched chaiey jaldi pleasssssse?
पद्य एक काव्यधारा है। पद्य का अर्थ है लयबद्धता, छंदबद्धता। इसमें स्वरों को एक निश्चित संख्या के आधार पर व्यवस्थित किया जाता है। इसके द्वारा एक कथा को व्यवस्थित कर गायन शैली में भी लिखा जा सकता है और गाया जा सकता है। पद को सरलता से कंठस्थ किया जा सकता है। प्राचीन समय में पद्य में ही ग्रंथों की रचना की गई है। रामायण और महाभारत पद्य में लिखी रचनाएं हैं। रामायण तो प्राचीनकाल से ही लोगों द्वारा कंठस्थ कर एक पीढ़ी द्वारा दूसरी पीढ़ी को दी गई रचना है। इसको बहुत बाद में ग्रंथ रूप में संग्रहित करके लिखा गया था। महाभारत के विषय में कहा जाता है कि महार्षि व्यास ने इसे कंठस्थ किया हुआ था । बाद में इस कथा तथा इसे जुड़ी घटनाओं को गणेश जी द्वारा पद्य रूप में लिखवाया था। वेद और उपनिषद भी पद्य में ही लिखे गए हैं। पद्य रचना नियमों में रहकर लिखी जाती है। इसमें विभिन्न छंदों का स्वरूप देखने को मिलता है। कबीर, मीरा, तुलसीदास, रैदास, सूरदास जैसे भक्त थे जिन्होंने अपने संदेश पद्य में लिखे थे। पद्य हमारे साहित्य का आवश्यक अंग है। बेशक आज के कवि इस रूप में नहीं लिखते हैं। परन्तु फिर भी इनका प्रभाव हमें हमेशा मोहित करता रहेगा।