pehle kavitta me prakruti manoranjankari he siddha kijiye

मित्र पहले कवित्त में प्रकृति का वर्णन बड़े ही सुन्दर ढंग से किया गया है। इस कवित्त में कवि ने बसंत ऋतु को शिशु के रूप में चित्रित किया है। इसके साथ ही प्राकृतिक के अनेक उपादानों को मानवीय क्रीड़ा करते दिखाया है। देव ने इसका वर्णन बड़े ही मनोरंजक ढंग से किया है। 

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