pitamaha Bhishma Ne Pandav aur Kaurav ka Guru Kaise aur Kyon Banaya
प्रिय छात्र
एक बार हस्तिनापुर के राजकुमार गेंद से खेल रहे थे। इतने में उनकी गेंद एक कुएँ में जा गिरी। उनको गेंद निकालने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। इतने में द्रोणाचार्य ने आकर धनुष तीर के माध्यम से गेंद और युधिष्ठिर की अंगूठी को बाहर निकाल दिया। राजकुमारों के मुख से द्रोणाचार्य की प्रशंसा सुनकर भीष्म ने उनको राजकुमारों का गुरु बनाने का निश्चय किया।
धन्यवाद।
एक बार हस्तिनापुर के राजकुमार गेंद से खेल रहे थे। इतने में उनकी गेंद एक कुएँ में जा गिरी। उनको गेंद निकालने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। इतने में द्रोणाचार्य ने आकर धनुष तीर के माध्यम से गेंद और युधिष्ठिर की अंगूठी को बाहर निकाल दिया। राजकुमारों के मुख से द्रोणाचार्य की प्रशंसा सुनकर भीष्म ने उनको राजकुमारों का गुरु बनाने का निश्चय किया।
धन्यवाद।