Pl send अलंकार of this!"

दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिटि कूदि चढ़ि जाहिं । ।

मित्र

इसमें अनुप्रास  तथा उत्प्रेक्षा अलंकार दोनों हैं।

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