Plaz tell the meanings of these two padyansh


मित्र
हम आपको प्रथम पद्यांश का अर्थ दे रहेे हैं।

मेरा मन उस जहाज के पंछी की भांति है, जो उड़कर पुनः पानी के उसी जहाज पर लौट आता है, जिससे वह उड़ा था। मेरा मन प्रभु को छोड़कर कहीं और नहीं लगता। भगवान श्री कृष्ण के सानिध्य को छोड़कर जो किसी और को मानता है, वह इस प्रकार के मूर्ख हैं, जो गंगाजल को छोड़कर कुआं खोदकर अपनी प्यास बुझाते हैंं। भंवरा यदि एक बार कमल का रस चख लेता है, तो वह फिर करील जैसे कड़वे फल को कभी नहीं खाता। सूरदास जी कहतेे हैं कामधेनु को छोड़कर जो छेरी को दुहेगा वह मूर्ख ही होगा।


 

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