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अपठित काव्यांश- निम्नलिखित काव्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए।
विहग गा रहे हैं, नखत खो चले हैं।
क्षितिज छोर प्राची अरुण हो चले हैं।
नए स्वपन जो आँख में आ बसे हैं,
उन्हीं की प्रभा मोन लहरा रही है।
उपर्युक्त काव्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न-1 नए स्वपन जो आँख में आ बसे हैं। से कवि का क्या तात्पर्य है?
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प्रश्न - 2 प्राची दिशा कैसी हो गई है?
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प्रश्न - 3 नखत कहाँ खो गए हैं?
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प्रश्न - 4 कौन गा रहे हैं? और क्यों गा रहे हैं?
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मित्र!
आपके प्रश्न के उत्तर में हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
 
1- नए स्वप्न जो आँख में आ बसे हैं- से कवि का तात्पर्य है कि सुबह की लालिमा पूरब से आ चुकी है और नई सुबह आँखों में नए सपने दे रही है। 
2- प्राची दिशा सूर्योदय की लालिमा से लाल हो चुकी है।
3- नखत रात्रि के जाते ही विलुप्त हो रहे हैं।
4- पक्षी गा रहे हैं और सुबह-सुबह अपने बसेरे को छोड़कर खाने की तलाश में उड़ रहे हैं। 

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