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Baaj aur saanp ke swabhav mein kya antar tha? ???

मित्र
 सांप और बाज के स्वभाव में बहुत अंतर था।
​​​​​​ बाज़ साहसी तथा निडर था। वह आकाश की ऊँचाइयों से नहीं डरता था। जीवन के अंतिम समय में भी उसने हार नहीं मानी। जीवन का भी मोह नहीं किया और उड़ने की चाहत में अपने प्राण त्याग दिए। बाज़ अपने जीवन के अंतिम समय तक स्वतंत्र रहा। स्वतंत्र रहना ही उसके जीवन का मुख्य उद्देश्य था। स्वतंत्रता के लिए बाज़ ने आजीवन संघर्ष किया। अंततः संघर्ष करते हुए उसकी मृत्यु हो गई।
साँप ने जीवन भर अपनी सुविधाओं का ध्यान रखा है। सुविधाओं के छिन जाने के भय से उसने कभी कुछ नया करने का प्रयत्न नहीं किया। साँप कभी अपने जीवन में कुछ नया नहीं कर सका। गिर जाने के भय से उड़ने का प्रयास तक नहीं किया। यह उसकी कायरता का ही प्रमाण है। साँप मन और शरीर दोनों तरह से कमज़ोर है। मन से कभी स्वतंत्र रहने की उसकी इच्छा नहीं हुई। यहीं कारण है कि वह शरीर से भी कमज़ोर ही रहा और आसमान में उड़ने में असमर्थ रहा।

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