Please answer question number 2

मित्र

क- सवैया का भाव यह हैै कि रसखान जी श्री कृष्ण की जन्मभूमि में अपना जीवन व्यतीत करना चाहतेे हैं। इसके लिए पशु रूप भी लेना पड़े तो वह लेने को तैयार हैं। इसके लिए वह पत्थर बनने को भी तैयार हैं। इन सब उपायों द्वारा वह श्री कृष्ण के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करना चाहते हैं।
ख- सवैये में सुख की परिभाषा ही श्री कृष्ण का सानिध्य है। वह इस सुख को प्राप्त करने के लिए  आठों सिद्धियां एवं नौ निधियों के सुख का भी त्याग करने को तैयार हैं क्योंकि रसखान कृष्ण भक्त थे और श्री कृष्ण के प्रति उनकी भक्ति भावना अत्यंत दुर्लभ थी।

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